Friday 8 September 2017

इश्क़


इश्क़ किया सो कर लिया
अब सोच सोच पछताना क्या
जख्म मिला सो सह लिया
अब दर्द किसीको जाताना क्या
भूल गया वो सारी बातें
भूल रहा हूँ वो सारी रातें
अब वो सारे वादे निभाना क्या
इश्क़ किया सो कर लिया
अब सोच सोच पछताना क्या 

Thursday 7 September 2017

जब लौट कर चले जाएंगे

फिर लौट कर न आएँगे 
जब हार कर किसी दिन चले जाएंगे 
याद तो बहुत करोगी तुम 
पर हम बस सपनों में ही नजर आएँगे 
सपने को सच मानकर तुम जल्दी से उठ जाओगी 
पर हमे पास न पाकर बहुत पछताओगी 
तब मेरी याद बहुत आएगी 
आँखों से अश्कों की बरसात हो जाएगी 
पर फिर हमे कभी न पाओगी 
काश होते पास तुम्हारे 
बस ख्वाइश रह जाएगी 
पर फिर कभी लौट कर ना आएँगे 
जब हार कर किसी दिन चले जाएंगे | 

Wednesday 6 September 2017

मेरा देश जल रहा है



















मेरा देश जल रहा है 
गद्दारों की टोली से 
भ्रस्टाचारियों की झोली से 
पनपते आतंकवाद से 
झूठे जातिवाद से 
मेरा देश जल रहा है 

बेरोक बलात्कारियों से 
फैलती बीमारियों से 
तुछ मानसिक सोच से 
लड़कियों की आजादी की रोक से 
मेरा देश जल रहा है 

बढ़ते आरक्षण से 
रोज की कुशासन से 
जवानों की मौत से 
कश्मीर घाटी की चोट से 
मेरा देश जल रहा है 

Tuesday 5 September 2017

अजीब








                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                           
                                                                                                       

अजीब सी भवर में फसें हैं हम
ना किसी को अपना पा रहे हैं
ना किसी को भुला पा रहे हैं
ना किसी को  मना पा रहे हैं
ना किसी की यादें मिटा पा रहे हैं

अजीब सी कश्मकश में फसें हैं हम
ना किसी को दिल की बात बता पा रहे हैं
ना किसी को दिल का हाल सुना  पा रहे हैं
ना किसी से नजरें  मिला पा रहे हैं
ना किसी से नजरें हटा पा रहे हैं

अजीब सी दुविधा में फसें हैं हम
ना किसी के ख्यालों में जा पा रहे हैं
ना किसी सपनें भुला पा रहे हैं |
  

Monday 4 September 2017

AKELA(LONELY)










जब  सब साथ हैं 
जब सब पास हैं 
क्यों अकेला हूँ मैं 
जब इतना शोर है चारों तरफ 
आबादी का जोर है चारों तरफ 
क्यों इतना तनहा अकेला हूँ मैं 
जब हर कदम पर नए दोस्त बनते हैं 
   फिर हर मोड़ पर राह बदलते हैं 
   जब  कभी किसी से प्यार हो जाता है 
   फिर पल भर में साथ छूट जाता है 
   जब हर किसी पर जल्दी विस्वास हो जाता है 
   फिर बेचारा जिंदगी भर धोका खाता है\
   जब सारे वादों को तोड़ा जाता है 
   फिर जिंदगी को नए आकार मैं मोड़ा जाता है 
   जब पूरी दुनिया एक सोच में सिमट जाती है 
   की कोई किसी का नहीं सब वक़्त का खेल है 
   ये दुनियादारी फिर बाद में समझ आती है 
   सायद इसीलिए अकेला हूँ मैं 
    हाँ इसीलिए अकेला हूँ मैं | 

Saturday 2 September 2017

THINKING(SOCH)

सोच कर आज तुम्हारे बारे में मैं ये सोचता रह गया की क्या मेरा तुमसे मिलना सही था
यही सोच सोच कर परेशान रहता हूँ और तुम्हारे अलावा और कुछ सोच नहीं पाता
घर वाले भी कहते हैं क्या सोचते रहते हो किसके बारे में सोचते रहते हो
मैं  फिर भी नहीं मानता क्यूंकि सच तो ये है की  मैं चाह कर भी  तुम्हारे बारे में
सोचना बंद नहीं कर सकता |सोच समझकर मैंने ये फैसला लिया हजारों बार
की अब ना सोचूंगा तुम्हारे बारे में फिर सोचा नहीं सोचूंगा तो कवितायेँ कैसे लिखूंगा
अब तो हर सोच में तुम हो और तुम हो तो हर सोच है
अब तो यही लगता है की ये सोच है तो तुम हो वरना तुम हो ही नहीं
जितनी गहरी सोच उतनी गहरी तुम्हारी यादें | 

Friday 1 September 2017

Yaad













ज्यादा सोच तो नहीं सकता अब 
पर उसकी बचकानियाँ याद रह गयीं 

सोच कर मुस्कुरा तो नहीं सकता अब 
पर उसकी शैतानियां याद रह गयीं 

मुस्कुरा कर भुला तो नहीं सकता अब 
पर उसकी नादानियाँ याद रह गयीं 

भुला कर उसे पा तो नहीं सकता अब 
क्यूंकि उसकी मनमानियां याद रह गयीं |